EXAMINE THIS REPORT ON NAAT LYRICS ALA HAZRAT

Examine This Report on naat lyrics ala hazrat

Examine This Report on naat lyrics ala hazrat

Blog Article

naat lyrics in urdu

حکومت نے چائے کی پتی کی فی کلو قیمت مقرر کردی، نیا نرخ نافذ

नबी की आमद से नूर फैला, फ़ज़ा-ए-शब पर निखार आया

Basic safety starts off with knowing how builders obtain and share your information. Details privateness and stability procedures may possibly range dependant on your use, location, and age. The developer presented this information and will update it after some time.

ऐ ज़हरा के बाबा ! सुनें इल्तिजा मदीना बुला लीजिए कहीं मर न जाए तुम्हारा गदा मदीना बुला लीजिए सताती है मुझ को, रुलाती है मुझ को ये दुनिया बहुत आज़माती है मुझ को हूँ दुनिया की बातों से टूटा हुआ मदीना बुला लीजिए बड़ी बेकसी है, बड़ी बे-क़रारी न कट जाए, आक़ा ! यूँही 'उम्र सारी कहाँ ज़िंदगानी का कुछ है पता मदीना बुला लीजिए ये एहसास है मुझ को, मैं हूँ कमीना हुज़ूर ! आप चाहें तो आऊँ मदीना गुनाहों के दलदल में मैं हूँ फँसा मदीना बुला लीजिए मैं देखूँ वो रौज़ा, मैं देखूँ वो जाली बुला लीजे मुझ को भी, सरकार-ए-'आली !

मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से डालो नज़र-ए-करम, सरकार ! अपने मँगतों पर इक बार हम ने आस है लगाई बड़ी देर से मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आजा इधर भी चमक उठे दिल की गली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरे रब ने मालिक किया तेरे जद को तेरे घर से दुनिया पली, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! मीराँ ! वलियों के इमाम ! दे दो पंज-तन के नाम हम ने झोली है फैलाई बड़ी देर से तेरा रुत्बा आ'ला न क्यूँ हो, कि मौला !

ادب اردو خبریں اردو مضامین اردو کہانیاں اردو کیپشنز اسلام اقوال زریں تعلیم سرکاری ادارے سیاحت شاعری صحت فیشن متفرق مہندی ڈیزائن نادرا نعت شریف ٹیکنالوجی پکوان پی ٹی اے کاروبار کھیل

जला के इश्क़े शहे दीं की दिल में इक बाती

लब हमारे दुरूद पढ़ते हैं, दिल हमारे सलाम कहते हैं

“five behtareen English naatein” ke barey mein faraham kardi hui malumaat ki behtareen shahadat yehi hai ke naatein hamari deeni warasat ka aham hissa hain.

इज़्ज़त से न मर जाएँ क्यूँ नाम-ए-मुहम्मद पर !

अल्लाह अल्लाह ! हुज़ूर के गेसू, भीनी भीनी महकती वो ख़ुश्बू

बख़्शिश के तालिब पे अपना करम कर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर

तकलीफ़ होती है, तुझे मिर्चें भी लगती हैं

लक़ब जो सिद्दीक़ तेरा ठहरा, निराला सब से है तेरा पहरा

Report this page